जिन कहलानी कबीलों ने देश छोडा , उनकी चार किस्में की जा सकती है
1 . अज्द इन्होंने अपने सरदार इनान बिन अम्र मजीक्रिया के मश्विरे पर वतन छोड़ा । पहले तो ये यमन ही में एक जगह से दूसरी जगह आते - जाते रहे और हालात का पता लगाने के लिए खोजियों को भेजते रहे , लेकिन अन्त में उत्तर का रुख किया और फिर विभिन्न शाखाएं घूमती - घुमाती अनेक जगहों पर हमेशा के लिए बस गई । सविस्तार विवेचन इस तरह है
सालबा बिन अम्र - इसने सबसे पहले हिजाज़ का रुख किया और सालबीया और जीकार के बीच में बस गए । जब इसकी सन्तान बड़ी हो गई । और परिवार मज़बूत हो गया तो मदीना की ओर कूच किया और उसी को अपना वतन बना लिया । इसी सालबा की नस्ल से औस और खज़रज क़बीले हैं , जो सालबा के बेटे हारिसा की सन्तान हैं ।
हारिसा बिन अम्र — यानी खुजाआ और उसकी सन्तान । ये लोग पहले हिजाज़ भू - भाग में घूमते - घामते मर्रज्जहरान में ठहरे , फिर हरम पर धावा बोल दिया और बनू जुरहुम को निकाल कर खुद मक्का में रहने - सहने लगे ।
इमान बिन अप - इसने और इसकी सन्तान ने अमान में रहना शुरू किया , इसलिए ये लोग अज़्दे अमान कहलाते हैं ।
नस्त्र बिन अद - इससे ताल्लुक रखने वाले कबीलों ने तिहामा में रहना शुरू किया । ये लोग अज्दे शनूअ : कहलाते हैं ।
जाना बिन अन - इसने शाम देश का रुख किया और अपनी सन्तान सहित वहीं रहने - सहने लगा । यही व्यक्ति ग़स्सानी बादशाहों का मूल परखा है । इन्हें आले ग़स्सान इसलिए कहा जाता है कि इन लोगों ने शाम देश जाने से पहले हिजाज़ में ग़स्सान नामक एक चश्मे पर कछ दिनों वास किया था ।
2 . लख्म व जुज़ाम
इन्हीं लख्मियों में नस्र बिन रबीआ था , जो हियरा के आले मुन्जिर बादशाहों का मूल पुरखा है ।
3 . बनूतै
इस क़बीले ने बनू अज्द के देश छोड़ देने के बाद उत्तर का रुख किया और अजा और सलमा नामक दो पहाड़ियों के आस - पास स्थाई रूप से बस गये , यहाँ तक कि दोनों पहाड़ियां क़बीला तै की निस्बत से मशहूर हो गईं ।
4 . किन्दा
ये लोग पहले बहरैन - वर्तमान अल-अहसा - में बसे , लेकिन विवश होकर वहां से हज़रमौत चले गये , मगर वहां भी अमान न मिली और आखिरकार नज्द में डेरा डालना पड़ा । यहां उन लोगों ने एक ज़ोरदार हुकूमत की बुनियाद डाली , पर यह हकूमत स्थाई न साबित हो सकी और उसके चिह्न जल्द ही मिट गये ।
कहलान के अलावा हिमयर का भी केवल एक क़बीला कुजआ ऐसा है और उसके हिमयरी होने में भी मतभेद है - जिसने यमन देश छोड़कर के इराक की सीमाओं में बादियतुरसमाव : के अन्दर रहना - सहना शुरू किया । । ।
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