Monday, 30 September 2019

ऊट बकरी के साथ अरब की परंपरा

  बहीरा साइबा की बच्ची को कहा जाता है और साइबा उस ऊंटनी को कहा जाता है जिससे दस बार लगातार मादा बच्चे पैदा हों बीच में कोई नर न पैदा हो । ऐसी ऊंटनी को आज़ाद छोड़ दिया जाता था उस पर सवारी नहीं की जाती थी उसके बाल नहीं काटे जाते थे और मेहमान के सिवा कोई उसका दूध नहीं पीता था । उसके बाद यह ऊंटनी जो मादा जनती उसका कान चीर दिया जाता और उसे भी उसकी मां के साथ आज़ाद छोड़ दिया जाता उस पर सवारी न की जाती उसका बाल न काटा जाता और मेहमान के सिवा कोई उसका दूध न पीता । यही बहीरा है और इसकी मां साइबा है । वसीला उस बकरी को कहा जाता था जो पांच बार बराबर दो - दो मादा बच्चे जनती । ( अर्थात् पांच बार में दस मादा बच्चे हों ) बीच में कोई नर न पैदा होता । इस बकरी को इसलिए वसीला कहा जाता था कि वह सारे मादा बच्चों को एक दूसरे से जोड़ देती थी । इसके बाद उस बकरी से जो बच्चे पैदा होते उन्हें सिर्फ मर्द खा सकते थे औरतें नहीं खा सकती थी अलबत्ता अगर कोई बच्चा मुर्दा पैदा होता तो उसको मर्द - औरत सभी खा सकते थे । हामी उस नर ऊंट को कहते थे जिसके सहवास से लगातार दस मादा बच्चे पैदा होते बीच में कोई नर न पैदा होता । ऐसे ऊंट की पीठ मज़बूत कर दी जाती थी न उस पर सवारी की जाती थी न उसका बाल काटा जाता था बल्कि उसे ऊंटों के रेवड़ में जोड़ा खाने के लिए आजाद छोड़ दिया जाता था और सिवा उससे कोई दूसरा फायदा न उठाया जाता था । 

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