बहीरा साइबा की बच्ची को कहा जाता है और साइबा उस ऊंटनी को कहा जाता है जिससे दस बार लगातार मादा बच्चे पैदा हों , बीच में कोई नर न पैदा हो । ऐसी ऊंटनी को आज़ाद छोड़ दिया जाता था , उस पर सवारी नहीं की जाती थी , उसके बाल नहीं काटे जाते थे और मेहमान के सिवा कोई उसका दूध नहीं पीता था । उसके बाद यह ऊंटनी , जो मादा जनती , उसका कान चीर दिया जाता और उसे भी उसकी मां के साथ आज़ाद छोड़ दिया जाता , उस पर सवारी न की जाती , उसका बाल न काटा जाता और मेहमान के सिवा कोई उसका दूध न पीता । यही बहीरा है और इसकी मां साइबा है । वसीला उस बकरी को कहा जाता था जो पांच बार बराबर दो - दो मादा बच्चे जनती । ( अर्थात् पांच बार में दस मादा बच्चे हों ) बीच में कोई नर न पैदा होता । इस बकरी को इसलिए वसीला कहा जाता था कि वह सारे मादा बच्चों को एक दूसरे से जोड़ देती थी । इसके बाद उस बकरी से जो बच्चे पैदा होते , उन्हें सिर्फ मर्द खा सकते थे , औरतें नहीं खा सकती थी , अलबत्ता अगर कोई बच्चा मुर्दा पैदा होता तो उसको मर्द - औरत सभी खा सकते थे । हामी उस नर ऊंट को कहते थे , जिसके सहवास से लगातार दस मादा बच्चे पैदा होते , बीच में कोई नर न पैदा होता । ऐसे ऊंट की पीठ मज़बूत कर दी जाती थी , न उस पर सवारी की जाती थी , न उसका बाल काटा जाता था , बल्कि उसे ऊंटों के रेवड़ में जोड़ा खाने के लिए आजाद छोड़ दिया जाता था और सिवा उससे कोई दूसरा फायदा न उठाया जाता था ।
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