Thursday, 10 October 2019

मोहम्मद से कुरैश के सरदारों की बात - चीत

उत्वा की उपरोक्त पेशकश का जिस ढंग से अल्लाह के रसूल मोहम्मदने उत्तर दिया था , उससे करैश की आशाएं परे तौर पर खत्म नहीं हुई थी , क्योंकि आपके उत्तर में उनकी पेशकश को ठुकराने या कुबूल करने की बात स्पष्ट न थी , बस आपने कुछ आयतों की तिलावत कर दी थी , जिन्हें उत्बा पूरे तौर पर न समझ सका था और जहां से आया था , वहीं वापस चला गया था , इसलिए कुरैश ने आपस में फिर मश्विरा किया । मामले के तमाम पहलुओं पर नज़र दौड़ाई और तमाम संभावनाओं पर विचार - विमर्श किया । इसके बाद एक दिन सूरज डूबने के बाद काबे के पास जमा हुए और अल्लाह के रसूल सल्ल० को बुला भेजा । आप खैर ( भलाई ) की उम्मीद लिए हुए जल्दी में तशरीफ़ लाए । जब उनके बीच में बैठ गए तो उन्होंने वैसी ही बातें कहीं जैसी इज्जत तुम्हारी इज्जत होगी और उसका वजूद सबसे बढ़कर तुम्हारे लिए बेहतरी की वजह होगा । लोगों ने कहा , अबुल वलीद ! खुदा की कसम , तुम पर भी उसकी जुबान का जादू चल गया । उत्वा ने कहा , उस व्यक्ति के बारे में मेरी राय यही है , अब तम्हें जो ठीक मालूम हो , करो । एक दूसरी रिवायत में यह उल्लेख है कि मोहम्मदने जब तिलावत शुरू की तो उत्वा चुपचाप सुनता रहा । जब आप अल्लाह के इस कथन पर पहुंचे ' पस अगर वे मुंह फेरें तो तुम कह दो कि मैं तुम्हें आद व समूद की कडक जैसी एक कड़क के खतरे से सचेत कर रहा हूं । ' तो उत्बा थर्रा कर खड़ा हो गया और यह कहते हुए अपना हाथ अल्लाह के रसूल मोहम्मदके मुंह पर रख दिया कि मैं आपको अल्लाह का और नातेदारी का बास्ता देता हं ( कि ऐसा न करें ) । उसे खतरा था कि कहीं यह डरावा आन न पड़े । इसके बाद वह कौम के पास गया और ऊपर लिखी बातें हुईं । अल्लाह के रसूल मोहम्मदसे कुरैश के सरदारों की बात - चीत उत्वा की उपरोक्त पेशकश का जिस ढंग से अल्लाह के रसूल मोहम्मदने उत्तर दिया था , उससे करैश की आशाएं परे तौर पर खत्म नहीं हुई थी , क्योंकि आपके उत्तर में उनकी पेशकश को ठुकराने या कुबूल करने की बात स्पष्ट न थी , बस आपने कुछ आयतों की तिलावत कर दी थी , जिन्हें उत्बा पूरे तौर पर न समझ सका था और जहां से आया था , वहीं वापस चला गया था , इसलिए कुरैश ने आपस में फिर मश्विरा किया । मामले के तमाम पहलुओं पर नज़र दौड़ाई और तमाम संभावनाओं पर विचार - विमर्श किया । इसके बाद एक दिन सूरज डूबने के बाद काबे के पास जमा हुए और अल्लाह के रसूल सल्ल० को बुला भेजा । आप खैर ( भलाई ) की उम्मीद लिए हुए जल्दी में तशरीफ़ लाए । जब उनके बीच में बैठ गए तो उन्होंने वैसी ही बातें कहीं जैसी उत्वा से कही थीं और वही पेशकश की जो उत्वा ने की थी , शायद उनका विचार । रहा हो कि बहुत संभव है कि उत्वा के पेशकश करने से आपको पूरा सन्तोष न । हुआ हो , इसलिए जब सारे सरदार मिलकर इस पेशकश को दोहराएंगे तो आपको सन्तोष हो जाएगा और आप उसे कुबूल कर लेंगे , मगर आप सल्ल० ने फ़रमाया ' मेरे साथ यह बात नहीं जो आप लोग कह रहे हैं । मैं आप लोगों के पास जो कुछ लेकर आया हूं , वह इसलिए नहीं लेकर आया हं कि मझे आपका माल चाहिए या आपके अन्दर शरफ़ चाहिए या आप पर शासन करना चाहता हूं नहीं , बल्कि मुझे अल्लाह ने आपके पास पैग़म्बर बनाकर भेजा है , मुझ पर अपनी किताब उतारी है और मुझे हुक्म दिया है कि मैं आपको खुशखबरी दूं और डराऊं , इसलिए मैंने आप लोगों तक अपने रब का पैग़ाम पहुंचा दिया , आप लोगों को नसीहत कर दी । अब अगर आप लोग मेरी लाई हुई बात कुबूल करते हैं , तो यह दुनिया और आख़िरत में आप लोगों का नसीब और अगर रद्द करते हैं तो मैं अल्लाह के फैसले का इन्तिज़ार करूंगा , यहां तक कि वह मेरे और आपके बीच फैसला फरमा दे । इस जवाब के बाद उन्होंने एक दूसरा पहल बदला . कहने लगे , आप अपने रब से सवाल करेंगे कि वह हमारे पास से उन पहाड़ों को हटा कर खुला हुआ मैदान बना दे और उसमें नदियां बहा दे और हमारे मुर्दो , मुख्य रूप से कुसई बिन किलाब को जिंदा कर लाए । अगर वह आपको सच्चा कर दिखाएं तो हम भी ईमान लाएंगे । आपने उनकी इस बात का भी वही जवाब दिया । इसके बाद उन्होंने एक तीसरा पहलू बदला । कहने लगे , आप अपने रब से सवाल करें कि वह एक फ़रिश्ता भेंज दे , जो आपकी पुष्टि करे और जिससे हम आपके बारे में रुजू भी कर सकें और यह भी सवाल करें कि आपके लिए बारा हों , खज़ाने हों और सोने - चांदी के महल हों । आपने इस बात का भी वही जवाब दिया । इसके बाद उन्होंने एक चौथा पहलू बदला , कहने लगे कि अच्छा , तो आप हम पर अज़ाब ही ला दीजिए * आसमान का कोई टुकड़ा ही गिरा दीजिए , जैसा कि आप कहते और धमकियां देते रहते हैं । आपने फरमाया , इसका अख्तियार अल्लाह को है , वह चाहे तो ऐसा कर सकता है । उन्होंने कहा , क्या आपके रब को मालूम था कि हम आपके साथ बैठेंगे , आपसे सवाल व जवाब करेंगे और आपसे मांग करेंगे कि वह आपको सिखा देता कि आप हमें क्या जवाब देंगे और अगर हमने आपकी बात न मानी तो वह हमारे साथ क्या करेगा ? फिर आखिर में उन्होंने सख्न धमकी दी । कहने लगे , सुन लो ! जो कुछ कर चुके हो , उसके बाद हम तुम्हें यों ही नहीं छोड़ देंगे , बल्कि या तो तुम्हें मिटा देंगे या खुद मिट जाएंगे । यह सुनकर अल्लाह के रसूल मोहम्मदउठ गए और अपने घर वापस आ गए । आपको ग़म व अफ़सोस था कि जो आशाएं आपने लगा रखी थी , वह पूरी न हुई ।

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