Tuesday, 8 October 2019

मोहम्मद ने पहली बार लड़ाई में हिस्सा लिया था

आपकी उम्र के बीसवें साल उकाज़ के बाज़ार में कुरैश व किनाना - और क्रैस ऐलान के दर्मियान जीक़ादा के महीने में एक लड़ाई हुई जो फ़िजार की लड़ाई के नाम से प्रसिद्ध है ।
    इसकी वजह यह हुई कि बराज़ नामी बनू किनाना के एक आदमी ने क्रैस ऐलान के तीन आदमियों को क़त्ल कर दिया । इसकी खबर उकाज़ पहुंची तो दोनों फरीक़ भड़क उठे और लड़ पड़े । कुरैश और किनाना का कमांडर हर्ब बिन उमैया था , क्योंकि वह अपनी उम्र और बुजुर्गी की वजह से कुरैश व किनाना के नजदीक बड़ा ऊंचा पद रखता था । पहले पहर किनाना पर कैस का पल्ला भारी था , लेकिन दोपहर होते - होते कैस पर किनाना का पल्ला भारी हुआ चाहता था कि इतने में समझौते की आवाज़ उठी और यह प्रस्ताव आया कि दोनों फरीक़ के मारे गए लोग गिन लिए जाएं । जिधर ज़्यादा हों उनको ज़्यादा की दियत ( अर्थ - दंड ) दे दी जाए । इसलिए इसी पर समझौता हो गया । लड़ाई खत्म कर दी गई और जो दुश्मनी पैदा हो गई थी , उसे समाप्त कर दिया गया । इसे फ़िजार की लड़ाई इसलिए कहते हैं कि इसमें हराम महीनेका अनादर किया गया । इस लड़ाई में मोहम्मद  भी तशरीफ़ ले गये थे और अपने चचाओं को तीर थमाते थे ।

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