इसी तरह जब मोहम्मद के दूसरे सुपुत्र अब्दुल्लाह का देहान्त हुआ तो अबू लहब (मोहम्मद का सगा चाचा) को इतनी खुशी हुई कि वह दौड़ता हुआ अपने साथियों के पास पहुंचा और उन्हें यह खुशखबरी सुनाई कि मुहम्मद अब्तर ( जिसकी नस्ल खत्म हो गई हो ) हो गए हैं ।
हम यह भी उल्लेख कर चुके हैं कि हज के दिनों में अबू लहब (मोहम्मद का सगा चाचा) मोहम्मद को झुठलाने के लिए बाज़ारों और सभाओं में आपके पीछे - पीछे लगा रहता था । तारिक़ बिन अब्दुल्लाह मुहारबी की रिवायत से मालम होता है कि यह व्यक्ति सिर्फ़ झुठलाने ही पर बस नहीं करता , बल्कि पत्थर भी मारता रहता था , जिससे आपकी एड़ियां खून से सन जाती थीं । अबू लहब (मोहम्मद का सगा चाचा) की बीवी उम्मे जमील , जिसका नाम अरवा था , जो हर्ब बिन उमैया की बेटी और अबू सुफ़ियान की बहन थी , वह भी मोहम्मद की दुश्मनी में अपने शौहर से पीछे न थी , इसलिए वह मोहम्मद के रास्ते में और दरवाज़े पर रात को कांटे डाल दिया करती थी , जुबान की गन्दी , बकवास करने वाली और फ़िला पैदा करने वाली भी थी ।
इसलिए मोहम्मद के खिलाफ़ बदजुबानी करना , लम्बी - चौड़ी बातें बनाना और झूठी - झूठी बातें जोड़ना , फ़िले की आग भड़काना और भयानक लड़ाई की फ़िज़ा बना देना उसकी रीति - नीति थी । इसीलिए कुरआन ने इसको ' हम्मालतल ह - तब ' ( लकड़ी ढोने वाली ) की उपाधि दी है ।
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