Sunday, 6 October 2019

मोहम्मद ने गर्दन पकड़ लिया


  इस पर मोहम्मद ने एक आयत उतार दी " अच्छा तो वह बुलाए अपनी मरिफल को , हम भी सज़ा के फरिश्तों को बुलाए देते है ) । " एक रिवायत में उल्लेख हुआ है कि मोहम्मद ने उसका गर्दन पकड़ लिया और झिंझोडते हए फ़रमाया ' तेरे लिए बहुत ही उचित है , तेरे लिए बहुत ही उचित है । इस पर अल्लाह का यह दुश्मन कहने लगा , ' ऐ मुहम्मद ! मुझे धमकी दे रहे हो ? अल्लाह की क़सम , तुम और तुम्हारा पालनहार मेरा कुछ नहीं कर सकते । मैं मक्के की दोनों पहाड़ियों के बीच चलने - फिरने वालों में सबसे ज्यादा प्रतिष्ठित बहरहाल इस डांट के बावजूद अबू जहल अपनी मूर्खता से रुकने वाला न था बल्कि उसकी भाग्यहीनता में कुछ और वद्धि ही हो गई ।
   इसलिए  सहीह मुस्लिम में अबू हुरैरह रजि० से रिवायत है कि ( एक बार कुरैश के सरदारों से ) अबू जहल ने कहा कि मुहम्मद आप लोगों के सामने अपना चेहरा धूल स भर लेता है । जवाब दिया गया , हां । उसने कहा , लात व उज्ज़ा की क़सम ! अगर मैंने ( इस हालत में ) उसे देख लिया तो उसकी गरदन रौंद दूंगा और उसका चेहरा मिट्टी पर रगड़ दूंगा । इसके बाद उसने मोहम्मद  को नमाज़ पढ़ते हुए देख लिया और यह सोचकर चला कि आपकी गरदन रौंद देगा , लेकिन लोगों ने अचानक क्या देखा कि वह एड़ी के बल पलट रहा है और दोनों हाथ से बचाव कर रहा है । लोगों ने पूछा , अबुल हकम ! तुम्हें क्या हुआ ? उसने कहा , मेरे और उसके बीच एक खाई है , हौलनाकी है , तबाही मोहम्मद  ने फरमाया कि अगर वह मेरे क़रीब आता तो फ़रिश्ते उसका एक - एक अंग उचक लेते । । यह उस दमन - चक्र का एक संक्षिप्त प्रारूप है जो अल्लाह वाला होने और हरम के निवासी होने का दावा रखने वाले सरकश मुशरिकों के हाथों अल्लाह के रसूल मोहम्मद और मुसलमानों को सहना पड़ रहे थे । 

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