सन्देह पैदा कर देना और ज़बरदस्त झूठा प्रोपगंडा करना , यह काम उन्होंने इतना अधिक किया और ऐसे - ऐसे ढंग से किया कि आम लोगों को दावत व तब्लीश पर सोच - विचार का मौका ही न मिल सका । इसलिए वे कुरआन के बारे में कहते कि ये उलझे सपने हैं , जिसे मुहम्मद रात में देखते और दिन में तिलावत कर देते हैं । कभी कहते , बल्कि इसे उन्होंने खुद ही गढ़ लिया है । कभी कहते , इन्हें कोई इंसान सिखाता है । कभी कहते , यह कुरआन तो सिर्फ झूठ है , इसे मुहम्मद ( सल्ल० ) ने गढ़ लिया है और कुछ दूसरे लोगों ने इस पर इनकी मदद की है , यानी आपने और आपके साथियों ने मिलकर इसे गढ़ लिया है और यह भी कहा कि ये पिछलों की कहानियां हैं , जिन्हें उसने लिखवा लिया है , अब ये उसे सुबह व शाम पढ़े जाते हैं । कभी यह कहते हैं कि काहिनों की तरह आप पर भी कोई जिन्न या शैतान उतरता है । अल्लाह ने उनको रद्द करते हुए फरमाया _ ' आप कह दें मैं बतलाऊं किस पर शैतान उतरते हैं , हर झूठ गढ़ने वाले गुनाहगार पर उतरते हैं । ' यानी शैतान तो झूठे और गुनाहों में लथ - पथ लोगों पर उतरता है और तुम लोगों ने मुझसे न कभी कोई झूठ सुना और न मुझमें कभी कोई फिस्क ( नाफरमानी के काम ) देखें , फिर कुरआन को शैतान का उतारा हुआ कैसे क़रार दे सकते हो ?
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