जब आपकी उम्र चालीस वर्ष हो गई और यही परिपक्वता की उम्र है और कहा जाता है कि यही पैग़म्बरों के पैग़म्बर बनाये जाने की उम्र है तो आप महसूस करने लगे , जैसे मक्का में एक एक पत्थर आपको सलाम कर रहा है , साथ ही आपको सच्चे सपने भी नज़र आने लगे । आप जो भी सपना देखते , वह . सुबह के उजालं की तरह प्रकट होता । इस दशा पर छ : माह की मुद्दत बीत गई - जो नुबूवत की मुद्दत का 46वां हिस्सा है और नुबूवत की कुल मुद्दत तेईस वर्ष है - इसके बाद जब हिरा में एकान्तवास का तीसरा वर्ष आया , तो अल्लाह ने चाहा कि धरती के बसने वालों पर उसकी रहमत की वर्षा हो . इसलिए उसने आपको नुबूवत का पद दिया और हज़रतं जिबील अलैहिस्सलाम कुरआन मजीद की कुछ आयतें लेकर आपके पास तशरीफ़ लाए ।
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