Monday, 7 October 2019

खुला प्रचार करने का पहला हुक्म

जब ईमान वालों की एक जमाअत भाईचारा और सहयोग के आधार पर तैयार हो गई , जो अल्लाह का पैग़ाम पहुंचाने और उसको उसका स्थान दिलाने का बोझ उठा सकती थी , तो वय आई और मोहम्मद  को ज़िम्मेदार बनाया गया कि अपनी क़ौम को खुल्लम खुल्ला दावत दें और उनके असत्य का खूबसूरती के साथ रद्द करें । इस बारे में सबसे पहले अल्लाह का यह कथन आया ' आप अपने करीबी रिश्तेदारों को ( अल्लाह के अज़ाब से ) डराइए । ' (सूरह 26 आयत  214 ) यह सूरः शुअरा की आयत है और इस सूरः में सबसे पहले हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम का वाकिया बयान किया गया है , यानी यह बताया गया है कि किस तरह हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम की नुबूवत की शुरूआत हुई , फिर आख़िर में उन्होंने बनी इसराईल सहित हिजरत करके फिरऔन और उसकी कौम से नजात पाई और फ़िरऔन और आले फिरऔन को डुबो दिया गया । दूसरे शब्दों में यह उल्लेख तमाम मरहलों पर छाया हुआ है , जिनसे हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम और फ़िरऔनी क़ौम को अल्लाह के दीन की दावत देते हुए गुज़रे थे । मेरा ख्याल है कि जब मोहम्मद  को अपनी क़ौम के अन्दर खुल कर प्रचार करने का हुक्म दिया गया , तो इस मौके पर हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम की घटना का यह विवरण इसलिए दिया गया , ताकि खुल्लम खुल्ला दावत देने के बाद जिस तरह झुठलाने और अन्याय और अत्याचार की कार्रवाइयों से मामला पड़ने वाला था , उसका एक नमूना आप और सहाबा किराम रजि० के सामने मौजूद रहे ।
    दूसरी ओर इस सूर : में पैग़म्बरों को झुठलाने वाली कौमें , जैसे फ़िरऔन और कौमे फ़िरऔन के अलावा क़ौमे नूह , आद , समूद , क़ौमे इब्राहीम , कौमे लूत और अस्हाबल ऐका के अंजाम का भी उल्लेख है । इसका मक्सद शायद यह है कि जो लोग आपको झुठलाएं , उन्हें मालूम हो जाए कि झुठलाने पर आग्रह की स्थिति में उनका अंजाम क्या होने वाला है और वह अल्लाह की ओर से किस किस्म की पकड़ से दोचार होंगे । साथ ही ईमान वालों को मालूम हो जाए कि अच्छा अंजाम उन्हीं का होगा , झुठलाने वालों का नहीं ।

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