मुद्दस्सिर की पिछली आयतों के आने के बाद मोहम्मद अल्लाह की तरफ लोगों को बुलाने के लिए उठ गए । चूंकि आपकी क़ौम जफाकार थी , बुतपरस्ती और दरगाह परस्ती उसका दीन था , बाप - दादा की रीति उसकी दलील थी , गर्व , दंभ , अहंकार और इंकार उसका चरित्र था और तलवार उसकी समस्याओं का साधन थी । इसके अलावा अरब प्रायद्वीप में धार्मिक गुरु के रूप में उसकी मान्यता थी , उसके असल केन्द्र पर काबिज़ और उसके वजूद के निगरां थे , इसीलिए ऐसी स्थिति में हिक्मत का तकाज़ा था कि पहले पहल दावत व तब्लीग़ का काम परदे के पीछे रहकर अंजाम दिया जाए , ताकि मक्का वालों के सामने अचानक एक हलचल पैदा करने वाली स्थिति न आ जाए । शुरू के इस्लामी साथी यह बिल्कुल स्वाभाविक था कि मोहम्मद सबसे पहले उन लोगों के सामने इस्लाम पेश करते , जिनसे आपका गहरा संपर्क और संबंध था , यानी अपने घर के लोगों और दोस्तों के सामने । इसलिए सबसे पहले आपने उन्हीं को दावत दी । इस तरह आपने शुरू में अपनी जान - पहचान के उन लोगों को सत्य की ओर बुलाया जिनके चेहरों पर आप भलाई के चिह्न देख चुके थे और यह जान चुके थे कि वे सत्य और भलाई को पसन्द करते हैं , आपकी सच्चाई और अमानतदारी को जानते हैं । फिर आपने जिन्हें इस्लाम की दावत दी , उनमें से एक ऐसे वर्ग ने , जिसे कभी भी मोहम्मद की महानता , महत्ता और सत्यता पर सन्देह नहीं हुआ था , आपकी बात मान ली । यह इस्लामी इतिहास में सबसे पहले के लोग ' माने जाते हैं । इनकी सची में सबसे ऊपर आपकी बीवी हजरत खदीजा बिन्त खवैलद आपके आज़ाद किए हुए दास हज़रत जैद बिन हारिसा बिन शुरहबील कलबी रजि० , अलग - अलग परिवारों और शाखाओं से ताल्लक रखते थे ।
करैश के बाहर से जो लोग पहले पहल इस्लाम लाए , उनमें सूची के शुरू में ये हैं अब्दुल्लाह बिन मस्ऊद हज़ली , मसऊद बिन रबीआ तमारी , अब्दुल्लाह बिन जहश असदी , उनके भाई अहमद बिन जहश , बरा बिन रबाह हब्शी , सहब बिन सनान रूमी , अम्मार बिन यासिर अनसी , उनके वालिद यासिर और मां सुमैया और आमिर बिन फुहैरा औरतों में ऊपर वाली औरतों के अलावा जो पहले - पहले इस्लाम ले आई , उनके नाम ये हैं उम्मे ऐमन बरक़ा हब्शीया , हज़रत अब्बास बिन अब्दुल मुत्तलिब की बीवी , उम्मुल फ़ज़्ल लुबाबतुल कुबरा बिन्त हारिस हिलालिया और हज़रत अबूबक्र सिद्दीक़ रज़ियल्लाहु की साहबजादी हज़रत अस्मा ।
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