Sunday, 6 October 2019

शाम की बादशाही

शाम की बादशाही

शाम की बादशाही जिस ज़माने में अरब क़बीलों की हिजरत ( देश - परित्याग ) जोरों पर थी , क़बीला कजाआ की कछ शाखाएं शाम की सीमाओं में आकर आबाद हो गई । उनका ताल्लुक़ बनी सुलैम बिन हलवान से था और उन्हीं में की एक शाखा बनू जुजअम बिन सुलैम थी , जिसे जुजाइमा के नाम से ख्याति मिली । कुज़ाआ की इस शाखा को रूमियों ने अरब मरुस्थल के बद्दुओं की लूटमार रोकने और फारसियों के खिलाफ़ इस्तेमाल करने के लिए अपना समर्थक बनाया और उसी के एक व्यक्ति के सिर पर शासन का मुकुट रख दिया । इसके बाद मुद्दतों उनका शासन रहा । उनका सबसे मशहूर बादशाह ज़ियाद बिन हयोला गुज़रा है । अन्दाज़ा किया गया है कि ज़जाइमा का शासनकाल पूरी दूसरी सदी ईसवी पर छाया रहा है , इसके बाद उस क्षेत्र में आले ग़स्सान का आगमन हुआ और ज़जाइमा का शासन जाता रहा । आले ग़स्सान ने बनू जूजअम को हरा कर उनके सारे क्षेत्र पर कब्जा कर लिया । यह स्थिति देखकर रूमियों ने भी आले ग़स्सान को शाम के क्षेत्र के अरब निवासियों का बादशाह मान लिया । आले ग़स्सान की राजधानी दूमतुल जन्दल थी और रूमियों के एजेंट के रूप में शाम के क्षेत्र पर उनका शासन बराबर कायम रहा , यहां तक कि हज़रत उमर फारूक़ के खिलाफ़त - काल में सन् 13 हि० में यरमूक की लड़ाई हई और आले गस्सान का अन्तिम शासक जबला बिन ऐहम मुसलमान हो गया । ( यद्यपि उसका गर्व इस्लामी समानता को अधिक दिनों तक सहन न कर सका और वह विधर्मी हो गया ।)

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