Tuesday, 1 October 2019

अब्दुल मुत्तलिब की मौत

अब्दुल मुत्तलिब की मौत

इसलिए भाग्य ने आपको तंहाई के जिस जंगल में ला खड़ा किया था , अब्दुल मुत्तलिब इसमें आपको अकेले छोड़ने के लिए तैयार न थे . बल्कि आपको अपनी औलाद से भी बढ़कर चाहते और बड़ों की तरह उनका आदर करते थे । इब्ने हिशाम का बयान है कि अब्दुल मुत्तलिब के लिए खाना काबा के साए में फ़र्श बिछाया जाता , उनके सारे लड़के फर्श के चारों ओर बैठ जाते । अब्दुल मुत्तलिब तशरीफ़ लाते तो फर्श पर बैठते । उनके बड़कपन को देखते हुए उनका कोई लड़का फर्श पर न बैठता , लेकिन मोहम्मद  तशरीफ़ लाते तो फ़र्श ही पर बैठ जाते ।
    अभी आप कम उम्र बच्चे थे । आपके चचा लोग आपको पकड़कर उतार देते , लेकिन जब अब्दल - मुत्तलिब उन्हें ऐसा करते देखते , तो फ़रमाते , ' मेरे इस बेटे को छोड़ दो । ख़ुदा की कसम ! इसकी शान निराली है , फिर उन्हें अपने साथ अपने फर्श पर बिठा लेते थे , अपने हाथ से पीठ सहलाते और उनकी अदाएं देखकर खुश होते । आपकी उम्र अभी 8 साल दो महीने दस दिन की हुई थी कि दादा अब्दुल मत्तलिब इस दुनिया से सिधार गए ।
   उनका देहान्त मक्का में हुआ और वह मृत्य से पहले अबू तालिब ( आपके चचा ) को - जो आपके बाप अब्दुल्लाह के सगे भाई थे , आपके लिए पालने - पोसने और देखभाल करने की वसीयत कर गए थे ।

मेहरबान चचा की निगरानी में

     अबू तालिब ने अपने भतीजे की देखभाल बड़ी खूबी से की । आपको अपनी औलाद में शामिल कर लिया , बल्कि उनसे भी बढ़कर माना , मान - सम्मान भी दिया । चालीस साल से ज़्यादा मुद्दत तक ताक़त पहुंचाई , अपना समर्थन सदैव दिया और आप ही की बुनियाद पर दोस्ती और दुश्मनी की और अधिक व्याख्या अपनी जगह आ रही है ।

 वर्षा चाही गई

     इब्ने असाकिर ने जलहमा बिन अरफ़ता से रिवायत किया है कि मैं मक्का आया , लोग अकाल से दो चार थे । कुरैश ने कहा , अबू तालिब घाटी अकाल का शिकार है । बाल - बच्चे अकाल के निशाने पर हैं , चलिए , वर्षा की दुआ कीजिए । अबू तालिब एक बच्चा लेकर बरामद हुए । बच्चा बादलों से घिरा हुआ सूरज मालूम होता था , जिससे घना बादल अभी - अभी छटा हो , उसके आस - पास और भी बच्चे थे ।
  अबू तालिब ने उस बच्चे का हाथ पकड़ कर उसकी पीठ काबे की दीवार से टेक दी । बच्चे ने उनकी उंगली पकड़ रखी थी , उस वक़्त आसमान पर बादल का एक टुकड़ा न था , लेकिन ( देखते - देखते ) इधर - उधर से बादल आने शुरू हो गये और ऐसी धुवांधार वर्षा हुई कि घाटी में पानी बह निकला , पूरा इलाका पानी से भर गया । बाद में अबू तालिब ने इसी घटना की ओर इशारा करते हुए मुहम्मद मोहम्मद की प्रशंसा में कहा था ' वह सुन्दर हैं , उनके चेहरे से वर्षा की दुआ की जाती है , यतीमों की पनाहगाह और विधवाओं के संरक्षक हैं ।

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