Monday, 7 October 2019

कुरेश का मोहम्मद से निपटने की तैयारी


   इसलिए वे इस बात पर बातचीत के लिए वलीद बिन मुग़ीरह के पास इकट्ठा हए । लीट ने कहा , इस बारे में तुम सब लोग एक राय अपना लो , तुम में आपस में कोई मतभेद नहीं होना चाहिए कि खुद तुम्हारा ही एक आदमी दूसरे आदमी को बसला दे और एक की बात दूसरे की बात को काट दे । लोगों ने कहा , आप ही कहिए । उसने कहा , नहीं तुम लोग कहो , मैं सुनूंगा ।
  इस पर कुछ लोगों ने कहा , हम कहेंगे कि वह काहिन है । वलीद ने कहा , नहीं , खुदा की क़सम ! वह काहिन नहीं है । हमने काहिनों को देखा है । उसमें न काहिनों जैसी गुनगुनाहट है , न उनके जैसी तुकबन्दी । इस पर लोगों ने कहा , तब हम कहेंगे कि वह पागल है । वलीद ने कहा , नहीं , वह पागल भी नहीं । हमने पागल भी देखा है और उसकी दशा भी । उस व्यक्ति में न पागलों जैसी दम घुटने की स्थिति है और न उलटी - सीधी हरकतें हैं और न उनके जैसी बहकी - बहकी बातें । लोगों ने कहा , तब हम कहेंगे कि वह कवि है । वलीद ने कहा , वह कवि भी नहीं है । हमें रजज़ , हजज़ , कुरैज़ , मक़बूज़ , मसूत , काव्य के सारे ही प्रकार मालूम है । उसकी बात बहरहाल काव्य नहीं है । लोगों ने कहा , तब हम कहेंगे कि वह जादूगर है । वलीद ने कहा , यह आदमी जादूगर भी नहीं । हमने जादूगर और उनका जादू भी देखा है । यह आदमी न तो उनकी तरह झाड़ - फूंक करता है , न गिरह लगाता है । लोगों ने कहा , तब हम क्या कहेंगे ? - वलीद ने कहा , ख़ुदा की कसम ! , उसकी जड़ मज़बूत है तुम जो बात भी कहोगे , लोग उसे झूठ समझेंगे , अलबत्ता उसके बारे में सबसे मुनासिब बात यह कह सकते हो कि वह जादूगर है । उसने ऐसा कलाम पेश किया है , जो जादू है । उससे बाप - बेटे , भाई - भाई , पति - पत्नी और कुंब - कबीले में फूट पड़ जाती है । आखिर में लोग इसी बात से सहमत होकर वहां से विदा हुए ।
    कुछ रिवायतों में यह विस्तार भी मिलता है जब वलीद ने लोगों की सारी बातें रद्द कर दी , तो लोगों ने कहा कि फिर आप अपनी बे - लाग राय पेश कीजिए । इस पर वलीद ने कहा , तनिक सोच लेने दो । इसके बाद वह सोचता रहा , सोचता रहा . यहां तक कि अपनी उपरोक्त राय रखी ।
   इसी मामले में वलीद के बारे में सूरः मुद्दस्सिर की सोलह आयतें (सूरह 11 आयत 26 ) उतरी , जिनमें से कुछ आयतों में उसकी सोच की रूप - रेखा भी दी गई , इसलिए कहा गया - ' उसने सोचा और अन्दाज़ा लगाया । वह बर्बाद हो , उसने कैसा अन्दाज़ा लगाया ? फिर बर्बाद हो , उसने कैसा अन्दाज़ा लगाया , फिर नजर दौड़ाई , फिर माथा सिकोड़ा और मुंह बिसोरा , फिर पलटा और घमंड किया , आखिरकार कहा कि यह निराला जादू है जो पहले से नकल होता आ रहा है । यह सिर्फ़ इंसान का कलाम है । ' (सूरह 74 आयत 18 - 25 )

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