Tuesday, 8 October 2019

मोहम्मद किराये पर बकरियां चराते थे

किशोरावस्था में मोहम्मद  का कोई निश्चित काम न था , अलबत्ता यह खबर सही है कि आप बकरियां चराते थे । आप सल्ल० ने बनी साद की बकरियां चराई और मक्का में भी । मक्का के निवासियों की बकरियां कुछ किराये के बदले चराते थे ' और जब जवान हुए तो व्यापार की ओर चले गए , क्योंकि यह रिवायत आती है कि आप साइब बिन यज़ीद मजूमी के साथ व्यापार करते थे और बेहतरीन शरीक थे , न हेर - फेर , न कोई झगड़ा ।
 इसलिए   साइब मक्का - विजय के दिन आपके पास आए तो आपने उन्हें मरहबा कहा और फ़रमाया कि मेरे भाई और मेरे शरीक को मरहबा ।
   पच्चीस साल की उम्र हुई तो हज़रत ख़दीजा रजि० का माल लेकर व्यापार के लिए शाम देश तशरीफ ले गए । इब्ने इस्हाक़ का बयान है कि ख़दीजा बिन्त खुवैलद एक प्रतिष्ठित , धनी और व्यापारी महिला थीं । लोगों को अपना माल कारोबार के लिए देती थीं और पार्टनरशिप के उसूल पर एक हिस्सा तै कर लेती थीं । परा करैश कबीला ही व्यापारी क़बीला था ।
    जब उन्हें मोहम्मद  की सच्चाई , अमानतदारी और अच्छे चरित्र व आचरण का ज्ञान हुआ , तो उन्होंने एक सन्देश भेज कर यह बात रखी कि उनका माल लेकर व्यापार के लिए उनके दास मैसरा के साथ शाम देश तशरीफ़ ले जाएं । वह दूसरे व्यापारियों को जो कुछ देती हैं , उससे बेहतर बदला आपको देंगी । आपने इसे स्वीकार कर लिया और उनका माल लेकर उनके दास मैसरा के साथ शाम देश तशरीफ़ ले गये ।

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