Tuesday, 8 October 2019

इस्लाम के पहले की संक्षिप्त जीवनी

मोहम्मद का अस्तित्व उन तमाम गुणों और विशेषताओं का योग था , जो अलग - अलग तौर पर लोगों के विभिन्न वर्गों में पाई जाती हैं । आप विवेक , दूरदर्शिता और सत्यप्रियता का उच्च मीनार थे । आपको बेहतरीन सझ - बूझ , सतर्क चिन्तन और सही उद्देश्य का पर्याप्त भाग मिला हुआ था । आप अपनी लम्बी ख़ामोशी से बराबर चिन्तन - मनन करते , लगातार ध्यान मग्न रहते और सत्य पाने की अभिलाषा करते रहते । आपने अपनी खुली बुद्धि और चमकदार प्रकृति से जीवन - ग्रन्थों का , लोगों के मामले और समूहों के हालात का अध्ययन किया और जिन खराबियों से ये सभी ओत - प्रोत थे , उनसे बड़ी उदासीनता दिखाई । इसलिए आपने इन सबसे हाथ खींच कर पूरे विवेक के साथ लोगों के बीच जीवन - यात्रा शुरू की , यानी लोगों का जो काम अच्छा होता , उसमें शिर्कत फ़रमाते , वरना अपनी तैशुदा तंहाई की ओर पलट जाते । इसलिए आपने शराब को कभी मुंह न लगाया , आस्तानों का ज़बीहा ( चढ़ावा ) न खाया और बुतों के लिए मनाए जाने वाले त्यौहार और मेलों - ठेलों में कभी शिर्कत न की । आपको शुरू ही से इन झूठे माबूदों ( जिनकी इबादत और पूजा की जाए ) से इतनी घिन थी कि उनसे बढ़कर आपकी नज़रों में कोई चीज़ ग़लत न थी , यहां तक कि लात व उज़्ज़ा की क़सम सुनना भी आपको गवारा न था ।
    इसमें सन्देह नहीं कि भाग्य ने आप पर सुरक्षा का साया डाल रखा था , इसलिए जब कुछ सांसारिक लाभ के लिए मनोकामनाएं उभरी या कुछ नापसंदीदा रस्म व रिवाज की पैरवी पर मन ने कुछ करना चाहा , तो खुदा की कृपा से उसमें रुकावट पैदा कर दी गई । इब्ने असीर की एक रिवायत है कि मोहम्मद  ने फरमाया , अज्ञानता - युग के लोग जो काम करते थे मने दो बार के अलावा कभी उनका ध्यान नहीं आया. लेकिन इन दोनों में से भी हर बार अल्लाह ने मेरे और उस काम में रुकावट डाल दी ।

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