जिब्रील दोबारा आयत लाते हैं हाफ़िज़ इब्ने हजर रह० फ़रमाते हैं कि यह ( अर्थात आयत पर कुछ दिनों की रोक ) इसलिए थी , ताकि आप पर जो भय छा गया था , वह विदा हो जाए और दोबारा आयत के आने का शौक़ और इन्तिज़ार पैदा हो जाए । इसलिए जब यह बात हासिल हो गई और आप वस्य के आने के इन्तिज़ार में रहने लगे तो अल्लाह ने आपको दोबारा आयत भेजी । आपका बयान है कि - ' मैंने हिग में एक महीना एतकाफ किया । जब मेरा एतकाफ पूरा हो गया तो मैं उतरा । जब बले वादी में पहुंचा तो मुझे पुकारा गया । मैंने दाएं देखा कुछ नजर न आरया , बाएं देखा , कुछ नज़र न आया , आगे देखा कुछ नजर न आया . पीछे देखा , कुछ नज़र न आया , फिर आँसमान की तरफ़ नज़र उठाई तो एक चीज नजर आई । क्या देखता हूं कि वही फ़रिश्ता , जो मेरे पास हिरा में आया था . आसमान व जमीन के बीच एक कुर्सी पर बैठा है ।
मैं उससे भयभीत होकर जमीन की ओर जा झुका । फिर मैंने ख़दीजा के पास आकर कहा , ' मुझे चादर ओढ़ा दो । मुझे चादर ओढ़ा दो । ' मुझे कम्बल उढ़ा दो और मुझ पर ठंडा पानी डाल दो । उन्होंने मुझे चादर ओढ़ा दी और मुझ पर ठंडा पानी डाल दिया ।
इसके बाद अल्लाह ने ' या ऐयुहल मुद्दास्सिर कुम फ़ - अन्जिर व रब्ब - क फ़ - कब्बिर व सिया - ब - क फ़ - तस्हिर ' से ' वर - रुज - ज़ फहजुर० ' तक नाज़िल फरमाई , यह नमाज़ फ़र्ज़ होने से पहले की बात है । इसके बाद आयत के आने में गर्मी आ गई । और वह बराबर आने लगी ।
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